Azamgarh Police Attack: मामूली विवाद सुलझाने पहुंची पुलिस, लोगों ने SHO को घेर कर बुरी तरीके से पीटा

यह वीडियो आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश में 5 जून की रात का एक चिंताजनक दृश्य दिखाता है। दिल्ली-आगरा राजमार्ग के पास बरदह थाना क्षेत्र के बर्रा गाँव में, एक मामूली विवाद सुलझाने पहुँची पुलिस बल को गाँव वालों ने घेर लिया। स्थानीय SHO के सिर से खून बह रहा था और भीड़ ने उन पर हमला कर दिया। एसएचओ चीखते हुए कहा: > “छोड़ दो यार… मैं थानेदार हूँ… जान ले लोगे क्या?” स्थिति सत्ता के उल्लंघन और सामाजिक विघटन की ओर इशारा करती है — जहाँ पुलिस स्वयं विवाद निपटाने पहुँची, लेकिन आम लोगों द्वारा उन्हें घेरा गया और प्रताडित किया गया। जरूरत हो तो घटना की पृष्ठभूमि समझने, पुलिस व सामाजिक प्रतिक्रियाओं या कानूनी निहितार्थों पर सलाह या जानकारी देने में मैं मदद कर सकता हूँ। घटना के अगले चरण में जो स्पष्ट हुआ, उसे संक्षेप में इस प्रकार बताया जा सकता है: --- 🚨 स्थिति की गहराई: 1. मूल तनाव की वजह: यह विवाद तब शुरू हुआ जब 3 जून को अजबमेहर गाँव (बम्भौर, अज़मगढ़) में शादी समारोह के दौरान महिला‑समूह पर वीडियो बनाने वालों द्वारा सेक्सुअल‑हरassment संभवत: शूटिंग की कोशिश की गई थी, जिससे बीच‑बीच में वाद‑विवाद शुरू हुआ और मारपीट में तब्दील हो गया। इस झड़प में 8 लोग घायल हुए और छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया — दोनों पक्षों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई । 2. **पुलिस की कार्रवाई:** अस्पताल में घायलों को भर्ती कराने के बाद मूबारकपुर पुलिस द्वारा आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। एएसपी मधुवन कुमार सिंह ने स्थिति पर कंट्रोल बनाए रखने के लिए क्षेत्र में अतिरिक्त गश्त बढ़ाने की घोषणा की । 3. **स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया:** लगभग 40 परिवारों ने ‘House for Sale’ के बोर्ड लगाए और कहा कि वे लगातार हो रहे उत्पीड़न, परिवारिक समारोहों में डीजे/म्यूजिक की मनाही व दुर्व्यवहार से त्रस्त हैं। इन परिवारों ने प्रशासन से सुरक्षा और न्याय की गुहार लगाई, लेकिन अभी तक समस्या मूल स्तर पर हल नहीं हुई। नतीजा यह हुआ कि कई ने तो बस बेच कर जाने तक का मन बना लिया है । 4. **शांति बहाल करने के उपाय:** पुलिस ने बड़े पैमाने पर गश्त तेज की, ASP ने भरोसा दिलाया कि सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी । इसके बावजूद, स्थानीय लोगों में आशंका और भय बरकरार है — खासकर शादी‑समारोहों, धार्मिक आयोजनों और सामाजिक मेलजोल के दौरान। --- 🧭 संक्षेप में परिणाम पुलिस ने त्वरित गिरफ़्तारी की और हाई‑प्रोटेक्शन लाइव गश्त की शुरुआत की। लेकिन सामाजिक तनाव इतना बढ़ गया है कि कुछ परिवार बसें बेचने तक को तैयार हैं ताकि वे पूरी तरह दूसरी जगह चले जा सकें। अभी तक सच्चाई में कमी आई है, और प्रशासनिक रूप से क्या ठोस राहत या समाधान निकाला गया, यह स्पष्ट नहीं।

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