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Showing posts from May, 2025

सुप्रीम कोर्ट वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर स्टे की मांग वाली याचिकाओं पर आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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सुप्रीम कोर्ट वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर स्टे की मांग वाली याचिकाओं पर आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। 3 दिनों के लम्बी सुन‌वाई के बाद चीफ जस्टिस ए०जी० मसीह और जस्टिस बी० आर० गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार को सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा जो कुछ दिनों में सामने आयेगा। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एड‌वोकेट कपिल सिब्बल ने अपनी दलील रखी। उन्होंने कहा जैसे-ही किसी सम्पन्ति की वक्फ जाँच शुरू होती है तब तक के लिए उसका वक्फ दर्जा खत्म हो जाता है। 200 साल पुरानी कब्रिस्तान को भी सरकार अब अपनी संपत्ति बना सकती है। इस पर मुख्य न्यायाधीश बी० आर० गवई ने सवाल किया कि यदि जमीन इतनी पुरानी है तो उसका राजिष्ट्रेशन क्यो नही कराया गया। इस पर कपिल सिब्बल ने जबाब में कहा 'कि पंजीकरण राज्य की जिम्मेदारी थी जिसें पूरा नहीं किया गया। अब यह कहना कि समुदाय ने पंजीकरण नहीं कराया और इसलिए उनकी गलती है हो यह तर्क संगत नही है उन्होंने आगे कहा कि यदि आप के पास शक्ति है तो आप अपनी ही गलती का लाभ नहीं उठा सकते। अन्य याचिकाकर्ताओं की और से वरिष्ठ वकील अभिषे...

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राष्ट्रपति ने जताई आपत्ति, पूछा- अदालतों के पास इसका अधिकार है?

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राष्ट्रपति ने जताई आपत्ति, पूछा- अदालतों के पास इसका अधिकार है? राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के 8 अप्रैल के ऐतिहासिक फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है, जिसमें राज्यपालों और राष्ट्रपति को विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई थी। राष्ट्रपति ने इस फैसले को संवैधानिक मूल्यों और व्यवस्थाओं के विपरीत बताया और इसे संवैधानिक सीमाओं का अतिक्रमण करार दिया। संविधान की अनुच्छेद 143 (1) के तहत राष्ट्रपति ने सर्वोच्च न्यायालय से 14 संवैधानिक प्रश्नों पर राय मांगी है। यह प्रावधान बहुत कम उपयोग में आता है, लेकिन केंद्र सरकार और राष्ट्रपति ने इसे इसलिए चुना क्योंकि उन्हें लगता है कि समीक्षा याचिका उसी पीठ के समक्ष जाएगी जिसने मूल निर्णय दिया और सकारात्मक परिणाम की संभावना कम है। सुप्रीम कोर्ट की जिस पीठ ने फैसला सुनाया था उसमें जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, 'राज्यपाल को किसी विधेयक पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होगा। इस समय सीमा में या तो स्वीकृति...

वकील को इंटरव्यू के लिए भेजना उसकी गरिमा का हनन': सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर डेजिग्नेशन के लिए अंक-आधारित प्रणाली क्यों खत्म की?

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वकील को इंटरव्यू के लिए भेजना उसकी गरिमा का हनन': सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर डेजिग्नेशन के लिए अंक-आधारित प्रणाली क्यों खत्म की? सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वरिष्ठ वकीलों के पद के लिए 100-बिंदु आधारित मूल्यांकन तंत्र, जो इंदिरा जयसिंह के 2017 और 2023 के निर्णयों (इंदिरा जयसिंह-1 और 2) में स्थापित किया गया था, पिछले साढ़े सात सालों में अपने इच्छित उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल रहा है। जस्टिस अभय ओक, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा - "पिछले साढ़े सात वर्षों के अनुभव से पता चलता है कि अंक आधारित प्रारूप के आधार पर पद के लिए आवेदन करने वाले वकीलों की योग्यता, बार में उनकी स्थिति और कानून में उनके अनुभव आदि का आकलन करना तर्कसंगत या वस्तुनिष्ठ रूप से संभव नहीं हो सकता है। इससे वांछित उद्देश्य प्राप्त नहीं हुआ है।” न्यायालय ने पाया कि इंदिरा जयसिंह के दो निर्णयों में दिए गए उसके निर्देश कभी भी अंतिम नहीं थे, क्योंकि इंदिरा जयसिंह-1 के पैराग्राफ 74 और इंदिरा जयसिंह-2 के पैराग्राफ 51 में उद्धृत अनुभव के आधार पर उपयुक्त संशोधनों का प्रावधान है। न्या...

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने रिटायरमेंट के बाद क्या बोले

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“मैं सेवानिवृत्त के बाद कोई पद स्वीकार नही करूँगा लेकिन शायद कानून के क्षेत्र में कुछ करूँगा।” या शब्द है देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना में जो उन्होंने विदाई के दौरान पत्रकारों से कहा, "उन्होंने ने कहा वे रिटायरमेंट के बाद सरकार की ओर से दिया जाने वाला कोई आधिकारिक पद नही लेंगे" जस्टिस संजीव खन्ना ने मंगलवार13 मई को रिटायर हो गए है। बतौर न्याधीश मंगलवार को उनका अंतिम कार्य दिवस रहा। इस मौके पे उन्होने पुष्टि की कि रिटायरमेंट के बाद कोई आधिकारिक पड़ ग्रहण नही करेंगे जब सुप्रीम कोर्ट मे पत्रकारों से बात कर रहे थे तो उन्होंने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कोई पद ना लेने कज बात कही। जस्टिस खन्ना के इस बयान से स्पष्ट हो गया कि वह किसी अयोग का अध्यक्ष पद या फिर कोई संवैधानिक पद को स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन कानून के क्षेत्र में काम करते रहेंगे हालांकि इस क्षेत्र में उनकी अगली भूमिका क्या होगी और कैसे होगी इस पर उन्होंने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। उन्होंने फिलहाल इतना संकेत दिया है कि वह ना तो घर बैठेंगे और न ही किसी सरकारी ऑड पर बैठेंगे बल्कि अपनी लम्बी कानूनी यात्रा ...

बाराबंकी में सालार साहू की दरगाह पर नही लगेगा मेला

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बाराबंकी में सालार साहू की दरगाह पर नही लगेगा मेला बहराइच के बाद बाराबंकी में भी सैयद सालार साहू गाजी की दरगाह पर नहीं लगेगा मेला, पुलिस ने परमिशन देने से किया इनका दरअसल, मेला कमेटी ने इस बार 14 और 15 मई को मेले के आयोजन की अनुमति प्रशासन से मांगी थी. प्रशासन ने इसके आयोजन को लेकर पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी. पुलिस ने शुरुआती दौर में ही रिपोर्ट भेजकर साफ कर दिया था कि मेले का आयोजन न हो. मेले का आयोजन हुआ तो तमाम संगठनों के विरोध को देखते हुए कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है. यूपी के बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाले मेले की परमिशन को रद्द करने के बाद अब बाराबंकी में भी सैयद सालार साहू गाजी की दरगाह पर लगने वाला मेला नहीं लगेगा. पुलिस ने तमाम संगठनों के विरोध को देखते हुए कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका जताकर मेला रोकने की संस्तुति कर दी है. बाराबंकी के सतरिख में स्थित सैयद सालार साहू गाजी महमूद गजनवी की सेनापति था. बहराइच में जिस सालार मसूद गाजी के मेले पर जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी उसी के पिता सालार साहू गाजी याद में बाराबंकी के सतरिख में लगने व...

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड की याचिका खारिज की

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Supreme court ने नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड की याचिका खारिज की, जिसमें उसने दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट (DND) फ्लाईवे पर यात्रियों पर टोल लगाने की याचिका खारिज करने के फैसले की समीक्षा की मांग की थी। सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। कोर्ट दो पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार कर रहा था, जिनमें से एक NTBCL और दूसरी प्रदीप पुरी ( NTBCL के निदेशकों में से एक) द्वारा दायर की गई थी। हालांकि कोर्ट ने पुरी के रुख को देखते हुए फैसले में कुछ बदलावों पर सहमति जताई, लेकिन NTBCL की चुनौती को पूरी तरह खारिज कर दिया गया। प्रदीप पुरी के वकील पीयूष जोशी ने दलील दी कि CAG रिपोर्ट (जिस पर कोर्ट ने भरोसा किया) में इस बात के कोई निष्कर्ष नहीं थे कि उन्होंने "कुछ नहीं किया"। इस संबंध में न्यायालय के निर्णय के निम्नलिखित अंश की ओर ध्यान आकृष्ट किया गयाः " CAG रिपोर्ट से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि प्रदीप पुरी (जो सीनियर नौकरशाह प्रतीत होते हैं) सहित NTBCL के निदेशकों ने स्पष्ट रूप से कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई, फिर भी उनके सभी खर्च, जिनमें उच्च-स्त...

राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को NALSA के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में नामित किया

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राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को NALSA के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में नामित किया राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस सूर्यकांत को 14 मई, 2025 से राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष (Executive Chairman) के रूप में नामित किया। इस संबंध में विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा अधिसूचना जारी की गई, जिसमें विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 3 (2) (बी) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति के नामांकन की घोषणा की गई। परंपरा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर जज को NALSA के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया जाता है। वर्तमान में NALSA के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन जस्टिस बीआर गवई 13 मई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना की रिटायरमेंट के बाद 14 मई को सीजेआई के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। वर्तमान में जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति के चेयरमैन हैं।

बहराइच दरगाह के जेठ मेले पर रोक मामले में हाईकोर्ट से राहत नहीं

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बहराइच दरगाह के जेठ मेले पर रोक मामले में हाईकोर्ट से राहत नहीं....... विस्तार में देखें. High Court decision on Bahraich fair : लखनऊ Highcourt की Lucknow पीठ से बहराइच में दरगाह शरीफ के लगने वाले जेठ मेले पर रोक मामले में सोमवार को कोई राहत नहीं दी है। मामले की अगली सुनवाई 14 मई को है। Lucknow की लखनऊ पीठ से बहराइच में दरगाह शरीफ के लगने वाले जेठ मेले पर रोक मामले में सोमवार को फिलहाल कोई अंतरिम राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने कहा मामले में विपक्षी पक्षकारों का जवाब मांगे जाने तक कोई अंतरिम राहत दिया जाना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने राज्य सरकार समेत अन्य पक्षकारों को मामले में जवाब दाखिल करने का समय देकर अगली सुनवाई 14 मई को नियत की है। Justice Rajan Roy और Justice Om Prakash Shukla की खंडपीठ ने यह आदेश बहराइच की दरगाह शरीफ प्रबंध समिति की ओर से इसके चेयरमैन द्वारा दाखिल याचिका पर दिया। याचिका में बहराइच के डी एम के इसी 26 अप्रैल के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सैयद सालार मसूद गाजी के दरगाह के पास हर साल लगने वाले जेठ मेले की इस बार अनुमति नहीं दी गई थी। याची ने इसे कानून...

सुप्रीम कोर्ट ने 5 (पंचवर्षीय) वर्षीय Law Degree course को 4 वर्षीय LLB से बदलने की याचिका पर सुनवाई की

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माननीय Supreme court of India ने 5 (पंचवर्षीय) वर्षीय Law Degree course को 4 वर्षीय LLB से बदलने की याचिका पर सुनवाई की Supreme court of India ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें पंचवर्षीय LLB कोर्स को 4 वर्षीय LLB कोर्स से बदलने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने यह मांग इस आधार पर की थी कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) पेशेवर डिग्री के लिए चार वर्षीय ग्रेजुएट कोर्स को बढ़ावा देती है। Justice Vikram Nath और justice sandeep mehta की खंडपीठ ने याचिका पर नोटिस जारी नहीं किया और इसे 1 वर्षीय LLM कोर्स से संबंधित अन्य मामले के साथ जोड़ दिया। Advocate अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया, " 5 (पंचवर्षीय) वर्षीय बी. लॉ को पैसे ऐंठने के लिए डिज़ाइन किया गया और सबसे गंभीर बात यह है कि शिक्षा के नाम पर इस तरह की गंदी चाल का इस्तेमाल किया जा रहा है। पांच वर्षीय कोर्स किसी भी स्टूडेंट की कानूनी विशेषज्ञता का आकलन करने का कोई मानक नहीं है।" याचिका में केंद्र सरकार को कानूनी शिक्षा आयोग या विशेषज्ञ समिति गठित करने...

AIBE योग्यता की स्थिति का उल्लेख वकालतनामा में किया जाना चाहिए: Supreme court ने BCI (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) से आग्रह किया

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AIBE योग्यता की स्थिति का उल्लेख वकालतनामा में किया जाना चाहिए: Supreme court ने BCI (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) से आग्रह किया मौजूदा व्यवस्था में मुवक्किलों, अदालतों या यहां तक कि विरोधी वकील को वकालतनामा या केस रिकॉर्ड से सीधे वकील की AIBE स्थिति सत्यापित करने की अनुमति नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से आग्रह किया है कि वह वकीलों के लिए वकालतनामा में अपनी All India Bar Examination (AIBE) स्थिति का खुलासा करना अनिवार्य बनाने पर विचार करे। AIBE योग्यता की स्थिति का उल्लेख वकालतनामे में किया जाना चाहिए: Supreme Court ने आग्रह किया:- Supreme court ने Bar Counsil of India (BCI) से आग्रह किया है कि वह वकीलों के लिए वकालतनामा में अपनी All India Bar Examination (AIBE) स्थिति का खुलासा करना अनिवार्य बनाने पर विचार करे । वकालतनामा एक कानूनी दस्तावेज है जो अधिवक्ता को मुवक्किल की ओर से पेश होने के लिए अधिकृत करता है। न्यायालय ( Court ) की कार्यवाही में विनियामक अनुपालन और पेशेवर योग्यता से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की गई। Justice Sanjay Kishan Kaul ...

विधि के छात्रों को बड़ी राहत देते हुए BCI ने एक नया नियम बनाया है

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विधि के छात्रों को बड़ी राहत देते हुए BCI ने एक नियम बनया है, जिसके तहत उम्मीदवारों को स्नातक होने के तीन साल के भीतर AIBE (अखिल भारतीय बार परीक्षा) उत्तीर्ण करने की अनुमति है। जारी किए गए आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से घोषित इस निर्णय से नए कानून स्नातकों को अखिल भारतीय बार परीक्षा को तुरंत पास किए बिना अदालतों में अभ्यास जारी रखने की अनुमति मिलती है, जो अभ्यास का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है। अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) परीक्षाः BCI (Bar council of India ) ने अखिल भारतीय बार परीक्षा के संबंध में महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की अखिल भारतीय बार परीक्षाः (BCI) ने अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) पास करने की समय सीमा एक साल और बढ़ा दी है। आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से घोषित इस निर्णय से नए विधि स्नातकों को अखिल भारतीय बार परीक्षा पास किए बिना अदालतों में अभ्यास जारी रखने की अनुमति मिल गई है, जो अभ्यास का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है। इस कदम का उद्देश्य 2023-24 को लाभ पहुंचाना है और जो पहल के लिए उपस्थित होने में समय की क कर रहे हैं। पहले, नये नामा...

Bharatiya Nagarik Suraksha Sahitya section 231 and 233

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जब अपराध अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है तब मामला उसे सपर्व करना 232. जब अपराध अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है तब मामला उसे सपर्व करना -जब पुलिस रिपोर्ट पर या अन्यथा संस्थित किसी मामले में अभियुक्त मजिस्टेट के समक्ष हाजिर है या लाया जाता है और मजिस्टेट को यह प्रतीत होता है कि अपराध अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है तो वह-- (क) धारा 230 या धारा 231 के उपबंधों का अनुपालन करने के पश्चात् मामला सेशन न्यायालय को सुपुर्द करेगा और जमानत से संबंधित इस संहिता के उपबंधों के अधीन रहते हुए अभियुक्त व्यक्ति को अभिरक्षा में तब तक के लिए प्रतिप्रेषित करेगा जब तक ऐसी सुपुर्दगी नहीं कर दी जाती है; (ख) जमानत से संबंधित इस संहिता के उपबंधों के अधीन रहते हुए विचारण के दौरान और समाप्त होने तक अभियुक्त को अभिरक्षा में प्रतिप्रेषित करेगा; (ग) मामले का अभिलेख तथा दस्तावेजें और वस्तुएं, यदि कोई हों, जिन्हें साक्ष्य में पेश किया जाना है, उस न्यायालय को भेजेगा; (घ) मामले के सेशन न्यायालय को सुपुर्द किए जाने की लोक अभियोजक को सूचना देगाः परन्तु इस धारा के अधीन प्र...

Commencement of proceedings before Magistrate

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मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही का प्रारम्भ किया जाना 227 . आदेशिका का जारी किया जाना (1) यदि किसी अपराध का संज्ञान करने वाले मजिस्ट्रेट की राय में कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार हैं और- (क) मामला समन-मामला प्रतीत होता है तो वह उसकी हाजिरी के लिए अभियुक्त को समन जारी करेगा; या (ख) मामला वारंट-मामला प्रतीत होता है, तो वह अपने या (यदि उसकी अपनी अधिकारिता नहीं है तो) अधिकारिता वाले किसी अन्य मजिस्ट्रेट के समक्ष अभियुक्त के निश्चित समय पर लाए जाने या हाजिर होने के लिए वारण्ट या यदि वह ठीक समझता है समन, जारी कर सकता है: परन्तु समन या वारंट, इलैक्ट्रानिकी साधनों के माध्यम से भी जारी किए जा सकेगे। (2) अभियुक्त के विरुद्ध उपधारा (1) के अधीन तब तक कोई समन या वारण्ट जारी नहीं किया जाएगा, जब तक अभियोजन के साक्षियों की सूची फाइल नहीं कर दी जाती है। (3) लिखित परिवाद पर संस्थित कार्यवाही में उपधारा (1) के अधीन जारी किए गए प्रत्येक समन वारण्ट के साथ उस परिवाद की एक प्रतिलिपि होगी। (4) जब तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन कोई आदेशिका फीस या अन्य फीस संदेय है, तब कोई आदे...

भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023 की धारा 223

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    भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023 की धारा 223 से 226                                    (परिवाद) 223 परिवादी की परीक्षा -किसी परिवाद पर अपराध का संज्ञान लेते समय अधिकारिता रखने बाला मजिस्ट्रेट परिवादी की और यदि कोई साक्षी उपस्थित है तो उनकी शपथ पर परीक्षा करेगा और ऐसी परीक्षा का सारांश लेखबद्ध करेगा और परिवादी और साक्षियों द्वारा तथा मजिस्ट्रेट द्वारा भी हस्ताक्षरित किया जाएगा: परन्तु किसी अपराध का संज्ञान मजिस्ट्रेट द्वारा अभियुक्त को सुनवाई का अवसर दिए बिना नहीं किया जाएगा: https://right-to-private-defence.blogspot.com परन्तु यह और कि जब परिवाद लिखकर किया जाता है तब मजिस्ट्रेट के लिए परिवादी या साक्षियों की परीक्षा करना आवश्यक न होगा- (क) यदि परिवाद अपने पदीय कर्त्तव्यों के निर्वहन में कार्य करने वाले या कार्य करने का तात्पर्य रखने वाले लोक सेवक द्वारा या न्यायालय द्वारा किया गया है; या (ख) यदि मजिस्ट्रेट जांच या विचारण के लिए मामले को धारा 212 के अधीन किसी अन्य मजिस्ट्रेट के...

एक बूढ़ी दादी और उनका बीमार पोता

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  एक बूढ़ी दादी और उनका बीमार पोता: एक मार्मिक कहानी गांव के एक छोर पर टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने वाली बूढ़ी दादी, चंपा, की ज़िंदगी का सहारा था उसका सात साल का पोता, अर्जुन। बेटे-बहू की एक सड़क दुर्घटना में मौत के बाद, चंपा ही अर्जुन के लिए मां, बाप और दादी तीनों बन गई थी। खुद की उम्र अस्सी के पार, आंखें धुंधली, शरीर कमजोर, पर दिल में अपने पोते के लिए ममता का महासागर था।  चंपा का गुज़ारा गांव वालों के दिए हुए चावल, दाल और कुछ पुराने कपड़ों से होता था। कुछ लोग मंदिर में बचा हुआ भोग दे जाते, तो कभी-कभी गांव की महिलाओं से थोड़ी बहुत मजदूरी मिल जाती। लेकिन उसका सारा ध्यान सिर्फ एक बात पर रहता — अर्जुन को भूखा न सोना पड़े। अर्जुन एक होशियार और संस्कारी बच्चा था। लेकिन पिछले कुछ महीनों से उसकी तबीयत बिगड़ने लगी थी। वह जल्दी थक जाता, पेट में दर्द की शिकायत करता और कई बार बेहोश भी हो जाता। गांव के वैद्य ने कहा था कि अर्जुन को 'अंदर की कमजोरी' है, और इलाज के लिए उसे शहर के अस्पताल ले जाना होगा। चंपा के पास अस्पताल जाने के लिए किराया भी नहीं था। वह रोज मंदिर के बाहर बैठ जाती, भगवान से मि...